बीजेपी राजस्थान: तीन जिलों के अध्यक्ष घोषित, बीकानेर में टकराहट से अध्यक्ष की घोषणा टली!
RNE Network
राजस्थान में भाजपा के सांगठनिक ढांचे में चल रहे बदलाव के बीच जहां तीन जिलों के अध्यक्ष घोषित किये गये हैं वहीं बीकानेर शहर अध्यक्ष का मामला एक बार फिर कुछ दिन के लिए टलता नजर आ रहा है। इसकी वजह हैं यहां अध्यक्ष के नाम को लेकर नेताओं के बीच बढ़ रही टकराहट।
ये तीन नये अध्यक्ष घोषित:
बुधवार को भाजपा ने तीन नये जिलाध्यक्ष घोषित किये हैं। इनमें जयपुर देहात दक्षिण से राजेश गुर्जर, उदयपुर शहर से गजपालसिंह राठौड़ और उदयपुर देहात से पुष्कर तेली को अध्यक्ष बनाया गया है। जयपुर में जहां निर्वाचन अधिकारी जगवीरसिंह छाबा रहे वहीं उदयपुर शहर में वीरमदेवसिंह और उदयपुर देहात रतन गाडरी निर्वाचन अधिकारी रहे। प्रवासी के तौर पर उदयपुर में पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने जिम्मेदारी निभाई वहीं जयपुर में खुद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा प्रवासी के तौर पर रहे।
बीकानेर में टकराहट:
बीकानेर में देहात अध्यक्ष के तौर पर श्यामसुंदर पंचारिया को घोषित किया गया है। अब शहर अध्यक्ष को लेकर खासी टकराहट हो रही है। यहां कई नाम अध्यक्ष के रूप में सामने आये इनमें महावीर रांका, मोहन सुराणा प्रमुख रहे। इसके साथ ही विजय आचार्य को अध्यक्ष के तौर पर रिपीट करने की संभावनाएं भी दिखी। इन सबके बीच नेताओं के बीच महावीर रांका को लेकर काफी कशमकश है। ऐसे में महिला अध्यक्ष का जिक्र भी चला। इस जिक्र के साथ निवर्तमान मेयर सुशीला कंवर का नाम उछला तो सामने आया कि वे उम्र के मानदंडों पर पात्र नहीं है।
ये हैं समीकरण:
दरअसल बीकानेर जिले में भाजपा के दो ब्राह्मण, दो राजपूत, एक एससी और एक जाट विधायक हैं। इसके साथ ही एससी के सांसद और केन्द्रीय मंत्री भी है। ओबीसी के रामगोपाल सुथार को मंत्री पद और चंपालाल गेदर को प्रदेश ओबीसी मोर्चा का अध्यक्ष बनाया जा चुका है। इसके साथ ही देहात अध्यक्ष श्यामसुंदर पंचारिया को बनाया गया है। मतलब यह कि जिले में एक ब्राह्मण अध्यक्ष भी बन चुका है। ऐसे में यहां के जातिगत समीकरणों को देखते हुए मोटे तौर पर माना जा रहा है कि अब वैश्य वर्ग से अध्यक्ष बनाया जाएगा। अब टकराहट भी वैश्य वर्ग में है।
भाजपा में पूर्व यूआईटी चेयरमैन महावीर रांका और भाजपा महामंत्री मोहन सुराणा के बीच पारिवारिक रिश्ता होने के बावजूद राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और 36 का आंकड़ा जग जाहिर है। महावीर रांका संगठन चलाने के आर्थिक प्रबंधन में माहिर होने के साथ ही केन्द्रीय मंत्री से पुराना वैमनस्य त्याग उनके नजदीकी लोगों में शुमार हो चुके हैं। कुछ संघनिष्ठ नेता भी उनके समर्थन में बताये जा रहे हैं। इसके बावजूद माना यह जा रहा है शहर के दोनों विधायक इस नाम पर सहमत नहीं है। ऐसे में एकबारगी अध्यक्ष रिपीट करने का जिक्र भी हुआ लेकिन देहात में ब्राह्मण अध्यक्ष बनने के बाद इसकी संभावना लगभग नगण्य लग रही है। इस बीच हर संभाग में एक महिला को अध्यक्ष बनाने की कवायद के बीच एक और नाम उभरा है, वह है सुमन छाजेड़। यह नाम टकराहट के बीच सर्वमान्य होने की भी संभावना है। वजह, वैश्य और महिला दोनों मानदंडों को इस नाम से पूरा किया जा सकता है। अलबत्ता, फिलहाल कशमकश जारी है और इसी कशमकश के चलते बीकानेर शहर भाजपा अध्यक्ष की घोषणा एकबारगी टलती नजर आ रही है। ऐसा माना जा रहा है कि अब फरवरी के पहले सप्ताह में प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा के बाद ही बचे हुए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति होगी।